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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 47 
इस केस में इतने किरदार आ गये थे कि सबके दिमाग का दही जम गया था । जज साहब भी अधीर हो गए थे इसलिए कहने लगे "हमें मधु सिंह की कहानी मत सुनाओ हीरेन दा , हमें तो कातिल की कहानी सुनाओ" । 

हीरेन मुस्कुराते हुए कहने लगा "वही कर रहा हूं योर ऑनर । कातिल की ही कहानी सुना रहा हूं । 
तो मधु सिंह फिर से अकेला रह गया था । दीनानाथ "आनंदम सोसायटी" में स्थाई रूप से प्लंबर के रूप में नौकरी कर रहा था । इस सोसायटी में 302 फ्लैट बने हुए थे इसलिए किसी न किसी फ्लैट में पानी की समस्या होती ही रहती थी इसलिए सोसायटी मैनेजमेंट ने एक प्लंबर, एक इलैक्ट्रिशियन, एक कारपेन्टर फिक्स कर दिया था । सोसायटी के प्रेसीडेंट मुरारी लाल से जब मधु सिंह जाकर मिला और उन्हें बताया कि दीनानाथ मर चुका है इसलिए उनकी जगह उसे रख लिया जाये । तो मुरारी लाल जी ने उस पर दया दिखाते हुए उसे अपनी सोसायटी "आनंदम" में प्लंबर के रूप में रख लिया । 

यहां से मधु सिंह की एक नई जिंदगी शुरू होती है । इस सोसाइटी में गार्ड के रूप में अनुपमा की कामवाली बाई कान्ता का पति राम किशन भी काम करता था । सोसायटी में यह व्यवस्था थी कि जो भी कोई व्यक्ति सोसायटी में अंदर प्रवेश करेगा तो उसे रजिस्टर में अपना नाम , पता , मोबाइल नंबर , किस फ्लैट में जाना है, सब लिखाना पड़ेगा । राम किशन की ड्यूटी उसी जगह पर थी । मधु सिंह को रोजाना कई बार सोसाइटी में आना होता था । कभी कोई बुलाता तो कभी और कोई बुला लेता था । इस तरह राम किशन की और मधु सिंह की जान पहचान बहुत अच्छी तरह हो गई  थी । 
एक दिन अपने गांव बाछरैन, जिला भरतपुर में भाई बंट को लेकर राम किशन के परिवार में झगड़ा हो गया था तो राम किशन को अपने गांव आना पड़ा । उसके गांव आने के बाद पूरे देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन घोषित हो गया । राम किशन वहीं गांव में फंस गया था और दिल्ली में कान्ता अकेली रह गई थी । राम किशन को कान्ता की चिन्ता सताने लगी थी । बाहर के सब मजदूर लोग दिल्ली छोड़ छोड़कर अपने अपने गांव जा रहे थे पर कान्ता अकेली कैसे आती ? 

तब राम किशन को मधु सिंह का ध्यान आया । मधु का तो कोई गांव भी नहीं था इसलिए वह दिल्ली में ही पड़ा रहा । तब राम किशन ने मधु से कान्ता को संभालने के लिए कहा तो मधु दोस्ती के लिए उसका काम करने को राजी हो गया । मधु पुलिस से बचते बचाते राम किशन के घर पहुंच गया । राम किशन ने फोन पर मधु के बारे में कान्ता को पहले ही बता दिया था । मधु सिंह ने कान्ता के छोटे मोटे सभी काम कर दिये । किचिन का सामान ला दिया । फल, सब्जी तथा और दूसरी चीजों की भी व्यवस्था कर दी थी । 

मधु सिंह तब 27-28 साल का एक हृष्ट-पुष्ट नवयुवक था । सुन्दर तो वह था ही, गठीला भी था वह । कान्ता भी भरे पूरे बदन की मलिका थी । यद्यपि वह एक "कामवाली बाई" ही थी पर सुन्दरता में वह किसी हीरोइन से कम नहीं थी । मधु सिंह को देखकर कान्ता का मन डोल गया था । जब मधु सिंह ने वापिस जाने की बात कही तब उसने कहा 
"बाहर पुलिस गश्त लगा रही है । बहुत सख्ती हो रही है । अगर पुलिस ने देख लिया तो जेल में बंद कर देंगे । इसलिए यहीं रुक जाओ । जब पुलिस का पहरा खत्म हो जाए तो चले जाना" । 

मगर मधु सिंह नहीं माना और चला गया । वह थोड़ी दूर ही गया होगा कि पुलिस की गाड़ी आ गई और पुलिस ने उसकी खूब पिटाई की । बेचारा मधु लंगड़ाता लंगड़ाता वापिस राम किशन के घर आ गया । कान्ता ने जब उसकी हालत देखी तो वह घबरा गई । उसने उसके लिए एक चारपाई बिछा दी और मधु सिंह उस पर लेट गया । उसके पूरे शरीर पर लाठियों के निशान बने हुए थे । 

कान्ता ने एक बाल्टी पानी गुनगुना किया और उसमें थोड़ी सी फिटकरी डाल दी । उसने मधु से अपने कपड़े उतारने को कहा । मधु ने अपने पैंट , शर्ट और बनियान सब उतार दिये बस अंडर वियर ही रहने दिया । मधु के गोरे चिट्टे जवां शरीर जिस पर काले काले बाल बड़े अच्छे लग रहे थे, देखकर कान्ता बाई की वासना जागृत हो गई । वह धीरे धीरे एक तौलिए से मधु सिंह के बदन पर पड़े लाठियों के घावों का सिकाव करने लगी । इस चक्कर में उसकी चुन्नी भी नीचे गिर पड़ी थी और उसके बड़े बड़े उरोज बार बार मधु सिंह के बदन से छू जाते थे । जब जब कान्ता बाई के उरोज मधु सिंह के बदन को छूते थे , उसके बदन में झुरझुरी सी दौड़ जाती थी । कान्ता बाई को इसका अहसास हो रहा था और मधु सिंह के बदन में हो रही हलचल की भी उसे जानकारी थी । अत: वह जानबूझकर अपने वक्षों और नितंबों को उसके बदन से टकराने लगी थी । 

कान्ता बाई भी लगभग 30 वर्ष की जवान और खूबसूरत औरत थी । यदि वह किसी अमीर घर में पैदा होती तो वह एक मॉडल बन सकती थी लेकिन गरीबी में पली बढी होने के कारण उसकी सुन्दरता का कोई मूल्य नहीं था । जिन घरों में वह काम करती थी उन घरों के मालिक उसे वासना की दृष्टि से नहीं देखते थे इसलिए वह कई वर्षों से उन घरों में काम कर रही थी । घरों में काम करने से उसका बदन स्लिम हो गया था और स्तन सुडौल हो गये थे । वह प्लस साइज की महिला थी । 

दो तीन दिन में कान्ता बाई की सेवा से मधु सिंह बिल्कुल ठीक हो गया । लॉकडाउन के कारण दोनों जने घर में ही रहते थे और एक दूसरे के बारे में ही सोचते रहते थे । मधु सिंह अब तक "विर्जिन" ही था । उसने पहले कभी किसी लड़की को छेड़ा तक नहीं था इसलिए वह कान्ता से दूर दूर ही रहता था । कान्ता ने कई बार उसे आंखों से , मुस्कान से इशारे भी किये पर वह उन इशारों को जानता ही नहीं था । कान्ता को लगा कि अब उसे ही बेशर्म बनना पड़ेगा । एक रात वह मधु सिंह की चारपाई पर जाकर उसके बगल में लेट गई और उसने मधु सिंह को अपनी बांहों में कस लिया । मधु सिंह पहले तो इंकार करता रहा मगर फिर वह कान्ता के गर्म जिस्म से पिघल गया । फिर दो बदन एक हो गए । 

लॉकडाउन में दोनों के पास कोई काम नहीं था इसलिए सुबह, दोपहर, शाम और रात में बस एक ही काम था जिसे दोनों बखूबी करते रहे । एक दिन कान्ता को महसूस हुआ कि शायद कुछ गड़बड़ हो गई है । वह मधु के साथ "के के डायग्नॉस्टिक सेन्टर" पर चैकअप कराने गई तो उसे पता लगा कि वह गर्भवती है । पहले तो वह बहुत खुश हुई क्योंकि वह मां बनना चाहती थी और अब वह मां बन गई थी । उस दिन उसने घर में हलवा पूरी बनाया था और भगवान को लाख लाख धन्यवाद भी दिया था । मगर उसे खयाल आया कि उसके पति को यहां से गये एक महीने से भी अधिक समय हो गया है तो फिर यह बच्चा किसका है ? वह पूछेगा तो वह क्या जवाब देगी ? 

दो दिन इसी उधेड़बुन में गुजर गए थे उसके मगर वह कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी । लेकिन एक दिन उसने तय कर लिया कि अभी तो इस बच्चे को गिरा देते हैं बाद में जब राम किशन यहां होगा तब कर लेंगे । राम किशन तो रात को ड्यूटी पर होगा तब मधु से वह अपनी ड्यूटी करवा लेगी । इस प्रकार एक दिन मधु और कान्ता एक अस्पताल जाकर उस बच्चे को गिरा आये । कान्ता को जो आनंद मधु के सानिध्य में आता था उसका दसवां हिस्सा भी राम किशन के सानिध्य में नहीं आया था । इसलिए कान्ता मधु को भगवान की तरह पूजने लगी । उसकी किसी बात की अवहेलना नहीं करती थी । उसे क्या पसंद है, क्या नहीं, इसका पूरा ध्यान रखती थी वह । 

लॉकडाउन के समय में ही एक दिन एक प्लंबर दिनेश का फोन मधु के पास आया । वह कहने लगा "अरे यार मधु , मेरे एक क्लाइंट हैं कल्पेश जी । उनके बाथरूम का नल खराब हो गया है । मैं अपने गांव में हूं और मैंने जिस जिस प्लंबर से बात की है वे सब अपने अपने गांवों में ही हैं । तू जाकर उनका नल ठीक कर दे ना" । 
"पर यार , चौराहे पर पुलिस का तगड़ा पहरा है । बहुत मारते हैं साले । मैं एक बार पिट चुका हूं, दुबारा पिटने की हिम्मत नहीं है मुझमें" । 
"प्लीज यार, कैसे भी करके चला जा । बहुत परेशान हो रहे हैं वे लोग । तेरी मजदूरी भी मुंहमांगी देंगे, मैंने कह दिया है" । 
मधु का मन डोल गया । पैसे भी खत्म हो रहे थे उसके । इसलिए वह कल्पेश के घर चला गया । कल्पेश की पत्नी करिश्मा वाकई "कुदरत का करिश्मा" ही थी । "इतनी सुन्दर तो कान्ता भी नहीं है" मधु ने मन ही मन सोचा । उसका गदराया हुआ बदन देखकर मधु का मन डोल गया था । करिश्मा भी प्लस साइज की औरत थी और वह भी 27-28 साल की ही थी । करिश्मा ने भी जब मधु सिंह को देखा था तब वह भी एक बार उसे देखकर ठिठक गई थी । एक सजीला नौजवान उसके सामने खड़ा था । उसके सामने कल्पेश तो "लल्लू" जैसा लग रहा था । मधु और करिश्मा की आंखें जैसे ही चार हुईं, करिश्मा के लबों पर एक रहस्यमई मुस्कान आ गई जिसे देखकर मधु अचंभित हो गया । अब तक वह लड़कियों की ओर देखता ही नहीं था मगर कान्ता ने उसे लड़कियों से आंखें लड़ाना सिखा दिया था । 

करिश्मा उसे उस बाथरूम में ले गई जहां पर एक नल खराब था । मधु ने जैसे ही नल खोला , वह उसके हाथ में आ गया और नल फव्वारा बनकर दोनों को भिगो गया । बड़ी मुश्किल से मधु ने नल बंद किया तो उसने चैन की सांस ली । फिर उसने पलट कर करिश्मा की ओर देखा तो वह पूरी भीग गई थी । उसने उस समय केवल एक गाउन पहना था । वह गाउन उसके बदन से चिपक गया था । करिश्मा के समस्त अंग उस गाउन में से बाहर निकल कर अपनी लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई सब बता रहे थे । दोनों की नजरें फिर मिलीं और इस बार दोनों ही मुस्कुरा दिये । करिश्मा अपने कपड़े बदलने चली गई और मधु नल ठीक करने लग गया । 

मधु ने अपना काम पूरा कर दिया तब करिश्मा उसे पैसे देने के लिए सामने आई तो उसे देखकर मधु दंग रह गया । करिश्मा हल्का मेकअप करके आई थी और उसके होठों पर गहरी लाल लिपस्टिक लगी हुई थी । एक दिन कान्ता ने उसे बताया था कि जब स्त्री की "इच्छा" होती है तब वह अपने मुंह से कुछ नहीं कहती है मगर इशारों से ही अपनी इच्छा बता देती है । इसके लिए वह अपने होठों पर गहरी लाल लिपस्टिक लगाती है । इसका मतलब होता है कि उस औरत की "इच्छा" है कुछ करने की । मधु ने सोचा "क्या करिश्मा भी वही चाहती है जो कान्ता बाई चाहती थी" ? पर वह एक "छोटा" आदमी था इसलिए वह अपनी भावनाऐं व्यक्त नहीं कर सकता था । पैसे लेकर वह चला आया था । 

काफी दिनों बाद उसके पास एक कॉल आई तो उसने कहा 
"हैलो" 
उधर से आवाज आई "हैलो, आप मधु जी बोल रहे हैं" ? 
आवाज किसी महिला की थी । 
"हां, मैं मधु ही बोल रहा हूं मगर आप कौन बोल रही हैं" ? 
"अरे, मुझे नहीं पहचाना ? मैं करिश्मा बोल रही हूं" 
"मुझे ध्यान नहीं आ रहा मैडम जी , कौन करिश्मा ? मैं नहीं जानता आपको" मधु को याद नहीं रही थी उस दिन की घटना । 
"अरे, आप हमारा नल ठीक करने आये थे । आपसे नल एकदम से खुल गया था और हम दोनों उससे पूरे भीग गये थे । अब कुछ याद आया" ? 
"हां, याद आ गया मैडम जी । सब कुछ याद आ गया । बताइए आज आपने कैसे फोन किया है" ? 
"आज हमारा नल फिर से खराब हो गया है । इसे आज ही आकर ठीक करके जाना" । करिश्मा के स्वर में कितनी मिठास थी कि मधु उस मिठास में पूरा सराबोर हो गया । 
"आज तो मैं कहीं बिजी हूं मैडम जी, मैं आपके यहां कल आ जाऊंगा" । मधु ने असमर्थता जता दी । इससे करिश्मा बहुत दुखी हो गई और रुंआसी होकर कहने लगी 
"क्या आप मेरे लिए इतना सा भी नहीं कर सकते हो" ? इन शब्दों में स्पष्ट रूप से आमंत्रण था लेकिन मधु इन्हें कैसे जानता ? पर वह बहुत संवेदनशील था इसलिए वह वहां चला गया । 

करिश्मा उसके स्वागत के लिए तैयार ही थी । वह खूब बन ठन कर सज धज कर उसका इंतजार कर रही थी । मधु ने जब बाथरूम में जाकर नल देखा तो उसमें से पानी नहीं आ रहा था । फिर उसने वॉल्व देखा तो वह बंद था । मधु ने वह वॉल्व चालू किया तो नल में पानी आने लग गया । मधु को समझ में आ गया था कि करिश्मा ने जानबूझकर वह वॉल्व बंद किया था और नल खराब होने के बहाने से उसे यहां बुलाया था । आज तो कल्पेश भी नजर नहीं आ रहे थे घर में । मधु ने पूछ ही लिया 
"साहब नहीं हैं क्या" ? 
"हां, वे अभी किसी जरूरी काम से गये हैं" । 
"ठीक है तो मैं अब चलता हूं" मधु ने चलते हुए कहा 
"अरे, जरा रुको तो । चाय पीकर जाना । मैं अभी चाय बनाकर लाती हूं आपके लिए" । करिश्मा ने आंखों से दावतें देते हुए कहा 
"नहीं मैडम जी, आप क्यों कष्ट करती हैं । हम किसी टापरी पर ही पी लेंगे" । 
"अरे वाह ! इसमें कष्ट कैसा ? मेरे होते हुए किसी "टापरी" पर चाय क्यों पीना" ? 
"ऐसा है ना मैडम जी, आप तो आज पिला देंगीं, पर रोज रोज तो नहीं पिलाऐंगी ना" ? मधु ने अपनी विवशता बता दी । 
"रोज रोज पिला देंगे , अगर आप रोज रोज आऐंगे तो" । कहते कहते करिश्मा ने मधु का हाथ पकड़ लिया । मधु ने चौंककर करिश्मा को देखा तो करिश्मा ने अपनी बांयी आंख हौले से दबा दी । मधु झेंप गया । करिश्मा को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह भौंदू कुछ समझ ही नहीं रहा है । तब उसने पूछा "तुम्हारी बीवी नहीं है क्या" ? 
"अभी तो शादी ही नहीं हुई है मैडम जी" मधु शर्माते हुए बोला । 
"तो कोई गर्लफ्रेंड होगी" ? 
"वो क्या होती है मैडम जी" ? 

करिश्मा को पता चल गया कि मधु अभी एकदम मासूम ही है । अब उसे ही सब कुछ करना होगा । उसने मधु का हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया । अब जाकर मधु समझ पाया कि करिश्मा को क्या चाहिए । उसने अपना हाथ हौले से दबा दिया । अब जाकर दोनों में संप्रेषण पूर्ण हुआ था । करिश्मा उसे लेकर अपने बैड पर आ गई । दोनों सुख की नदी में गोते लगाने लगे । करिश्मा एक सूखी हुई नदी सी लग रही थी जो आज ही अपनी सारी प्यास बुझा लेना चाहती थी । एक बरसात से उसके तप्त मरुस्थल को शान्ति नहीं मिली थी , बल्कि प्यास और बढ गई थी मरुस्थलकी । उसे तो सावन की सी "झड़ी" चाहिए थी । मधु भी आवारा बादल की तरह बरसता रहा । दोनों प्रेम की बरसात में इतने बह गए थे कि दोनों को समय का भान ही नहीं रहा था । 

इतने में डोरबैल बज गई । "अरे, साहब आ गये लगते हैं" । करिश्मा चौंकते हुए बोली । वह फटाफट कपड़े पहनने लगी । मधु भी झटपट अपने कपड़े पहनने लगा । दोनों अभी कपड़े पहन ही रहे थे कि कल्पेश अपने पास रखी चाबी से दरवाजा खोलकर अंदर आ गया और सामने दोनों को कपड़े पहनते देखकर चिल्ला उठा 

"यू बास्टर्ड" ! और उसने आव देखा न ताव , धड़ाधड़ मारने लगा मधु को । मधु कल्पेश से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगा लेकिन कहां जाता वह ? कल्पेश के हाथ में एक चाकू आ गया था । उसने उस चाकू से मधु को मारना शुरू कर दिया । मधु चाकू का वार बचाता रहा । फिर उसने एक जोर की लात कल्पेश की छाती पर मारी तो कल्पेश का सिर पीछे की दीवार से जा टकराया । कल्पेश का सिर फूट गया था और वह नीचे गिरकर ढेर हो गया । मधु ने उसकी नब्ज टटोली तो पता चला कि वह मर चुका था । 

मधु और करिश्मा दोनों ही इस घटना से सन्न रह गये थे । इस लाश का क्या करें ? मधु बहुत घबरा गया था । उसे कुछ सूझ नहीं रहा था । वह चुपचाप बैठा रहा और सोचता रहा । अचानक उसके दिमाग में "दृश्यम" मूवी का वह सीन कौंधा जिसमें एक मामूली सा पढा लिखा अजय देवगन एक आई जी रेंक की अफसर को भी मात दे देता है । तब उसके फर्टाइल दिमाग ने काम करना शुरू किया । उसे याद आया कि अजय देवगन ने वह लाश एक थाने की बिल्डिंग के नीचे गाड़ दी थी । तब उसे याद आया कि हौज खास में जब वह एक घर में नल ठीक करने गया था तब उसे पता चला था कि यहां थाना बन रहा है । उसने फटाफट प्लान तैयार किया और करिश्मा को वह प्लान समझाया । करिश्मा का दिमाग तो कल्पेश की लाश देखकर सुन्न हो गया था । उसे पता नहीं था कि इस "मस्ती" का अंजाम यह होगा । वह चुप ही रही । तब उसने कहा कि इस लाश को हौज खास थाने में दफनाना है । वह और करिश्मा दोनों रात के बारह बजे कल्पेश की लाश को गाड़ी में रखकर ले गये और हौज खास थाने की जमीन में एक गढ्ढा खोदकर उसे दफना दिया । दोनों वापस घर आये और हत्या के सारे सबूत मिटा दिये । उस रात मधु करिश्मा के घर ही सोया था । इसके पश्चात तो मधु का यहां आना जाना बेरोकटोक होने लग गया था । 

श्री हरि 
30.6.2023 

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8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:20 AM

शानदार भाग

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Jul-2023 08:58 PM

🙏🙏

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Punam verma

03-Jul-2023 08:51 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Jul-2023 08:58 PM

🙏🙏

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Alka jain

02-Jul-2023 11:00 PM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Jul-2023 08:58 PM

🙏🙏

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